Monday, 2 February 2015

चेतावनी

केशर की खुशबू आती है
          ऐसा है काश्मीर हमारा ।
दृष्टि जहॉ जाती बँध जाती
      वहॉ से उठती नहीं दोबारा ।

इस केशर की बस्ती में ही
       बसा हुआ  है डोडा -  गॉव ।
लहू - लुहान सदा रहता है
        दुश्मन का बन गया ठॉव ।

पडोसी की हरक़त ऐसी
         डोडा पर होता अत्याचार ।
उठकर भाग नहीं सकता है
         डोडा  है कितना - लाचार ।

डोडा में ही हया नाम की
         रहती है एक बच्ची प्यारी ।
बडी तेज है हया - हमारी
         वह सब पर पडती है भारी ।

पर वह सैनिक की बेटी है
         वह सारी बात समझती है ।
कभी पडोसी की हरक़त को
           वह हल्के में नहीं लेती है ।

जब पापा छुट्टी पर आते
         सिखलाते हैं बंदूक चलाना ।
हया ध्यान से सीखती है
       लगता उसका सही निशाना ।

गोधूलि के समय जब हया
             अदा कर रही थी नमाज़ ।
तभी अचानक सुनी थी उसने
          सरहद के उस पार आवाज़ ।

तीन - चार मुस्टंडे थे वह
          घुस रहे थे भारत-सीमा पर ।
हया ने उनको देख लिया था
               करते थे वे ऐसा अक्सर ।

बंदूक उठाया आज हया ने
             मार दिया चारों को आज ।
फिर इत्मिनान से अदा किया
           आज उसने अपना नमाज़ ।

हे खुदा पडोसी को समझा दे
          अपनी हरक़त से आए बाज़ ।
नापाक हरक़तों का जवाब है
                क़ुबूल करो मेरा नमाज़ ।

शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग.]  

3 comments:

  1. काश पडौसी भी यह समझ पाते...सलाम है हया के ज़ज्बे को...बहुत सटीक अभिव्यक्ति..

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  2. यही है सटीक नमाज

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  3. सुंदर भाव...ऐसी नमाज अवश्य कुबूल होगी

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