केशर की खुशबू आती है
ऐसा है काश्मीर हमारा ।
दृष्टि जहॉ जाती बँध जाती
वहॉ से उठती नहीं दोबारा ।
इस केशर की बस्ती में ही
बसा हुआ है डोडा - गॉव ।
लहू - लुहान सदा रहता है
दुश्मन का बन गया ठॉव ।
पडोसी की हरक़त ऐसी
डोडा पर होता अत्याचार ।
उठकर भाग नहीं सकता है
डोडा है कितना - लाचार ।
डोडा में ही हया नाम की
रहती है एक बच्ची प्यारी ।
बडी तेज है हया - हमारी
वह सब पर पडती है भारी ।
पर वह सैनिक की बेटी है
वह सारी बात समझती है ।
कभी पडोसी की हरक़त को
वह हल्के में नहीं लेती है ।
जब पापा छुट्टी पर आते
सिखलाते हैं बंदूक चलाना ।
हया ध्यान से सीखती है
लगता उसका सही निशाना ।
गोधूलि के समय जब हया
अदा कर रही थी नमाज़ ।
तभी अचानक सुनी थी उसने
सरहद के उस पार आवाज़ ।
तीन - चार मुस्टंडे थे वह
घुस रहे थे भारत-सीमा पर ।
हया ने उनको देख लिया था
करते थे वे ऐसा अक्सर ।
बंदूक उठाया आज हया ने
मार दिया चारों को आज ।
फिर इत्मिनान से अदा किया
आज उसने अपना नमाज़ ।
हे खुदा पडोसी को समझा दे
अपनी हरक़त से आए बाज़ ।
नापाक हरक़तों का जवाब है
क़ुबूल करो मेरा नमाज़ ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग.]
ऐसा है काश्मीर हमारा ।
दृष्टि जहॉ जाती बँध जाती
वहॉ से उठती नहीं दोबारा ।
इस केशर की बस्ती में ही
बसा हुआ है डोडा - गॉव ।
लहू - लुहान सदा रहता है
दुश्मन का बन गया ठॉव ।
पडोसी की हरक़त ऐसी
डोडा पर होता अत्याचार ।
उठकर भाग नहीं सकता है
डोडा है कितना - लाचार ।
डोडा में ही हया नाम की
रहती है एक बच्ची प्यारी ।
बडी तेज है हया - हमारी
वह सब पर पडती है भारी ।
पर वह सैनिक की बेटी है
वह सारी बात समझती है ।
कभी पडोसी की हरक़त को
वह हल्के में नहीं लेती है ।
जब पापा छुट्टी पर आते
सिखलाते हैं बंदूक चलाना ।
हया ध्यान से सीखती है
लगता उसका सही निशाना ।
गोधूलि के समय जब हया
अदा कर रही थी नमाज़ ।
तभी अचानक सुनी थी उसने
सरहद के उस पार आवाज़ ।
तीन - चार मुस्टंडे थे वह
घुस रहे थे भारत-सीमा पर ।
हया ने उनको देख लिया था
करते थे वे ऐसा अक्सर ।
बंदूक उठाया आज हया ने
मार दिया चारों को आज ।
फिर इत्मिनान से अदा किया
आज उसने अपना नमाज़ ।
हे खुदा पडोसी को समझा दे
अपनी हरक़त से आए बाज़ ।
नापाक हरक़तों का जवाब है
क़ुबूल करो मेरा नमाज़ ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग.]
काश पडौसी भी यह समझ पाते...सलाम है हया के ज़ज्बे को...बहुत सटीक अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteयही है सटीक नमाज
ReplyDeleteसुंदर भाव...ऐसी नमाज अवश्य कुबूल होगी
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