Wednesday, 11 February 2015

उज्जैन में एक महिला रहती है

उज्जैन  में  एक  महिला  रहती  है पर वह लँगडी है बेचारी
उस की  एक  छोटी - बच्ची  है  कैसे  पाले  भूख  की  मारी ?

एक - दिन मुझसे मिलने आई अपनी दिक्कत मुझे बताई
'क्या आता है मुझे बताओ' 'कुछ- कुछ आती  मुझे सिलाई ।'

'मेरी  सहेली  की  फैक्ट्री  है क्या तुम उसमें काम - करोगी
प्रति - दिन  लण्च मिलेगा नीता कम पैसों में काम करोगी ?'

अंधे  को  मिल  गई थी लाठी ऑखों में अब चमक आ गई
उसको फैक्ट्री तक पहुँचाया मन माफिक वह काम पा गई ।

उस  फैक्ट्री  में  महिलायें  ही  केवल  करती  हैं  सब - काम
बच्चों  के  कपडे  बनते  हैं  कुरता क़मीज़ और कई तमाम ।

घर  मिल  गया  वहॉ  नीता  को  मॉ  के  संग  बेटी रहती है
बेटी  वहॉ  बहुत  खुश  रहती ऑगन - बाडी में वह पडती है ।

रात  के  पीछे  दिन  आता  है  दिन  के  पीछे  आती - रात
एक - एक  दिन  करते - करते  बीत  गई कितनी बरसात ।

नीता  का  बढ  गया  है  वेतन नमिता बारहवीं - पढती है
नमिता  की  पढाई  का  खर्चा फैक्ट्री स्वयं वहन करती है ।

नमिता- पढने में होशियार है सी  ए बनूँगी वह  कहती  है
देखो आगे क्या होता है मेहनत  ही  किस्मत - गढती  है ।

फैक्ट्र्री के संग - संग नमिता भी अब तेजी से दौड रही है
उद्यम  सदा - सफल  होता  है  यही  बात  सर्वदा  सही है ।

उद्योग जगत में इस फैक्ट्री को मिलता है अनेक सम्मान
महिलायें  प्रोत्साहित - होतीं उनका  भी  बढता  है मान ।

नमिता अब  सी - ए बन कर  के  इस  फैक्ट्री में आई  है
नीता  ने  एक  पार्टी  दी  है पर ऑख उसकी भर आई है ।

'मैंने  कभी  नहीं  सोचा  था  मेरी  बेटी पढ - लिख लेगी
यह फैक्ट्री हम सब की मॉ है जीवन भर उपकार करेगी ।

गला भर आया  है नीता का बोल नहीं सकती कुछ और
पर जो उद्यम - पथ  पर चलता वह पाता है उत्तम - ठौर ।  

7 comments:

  1. जीवन में तो सारे रंग हैं , आशाएं और विश्वास बना रहे

    ReplyDelete
  2. परिश्रम, लगन और आत्मविश्वास का मीठा फल ज़रूर चखने के लिये मिलता है ! शारीरिक विकलांगता या असमर्थता कहीं आड़े नहीं आती ! सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  3. सच में किसी में आत्मविश्वास जगा देना उसकी पूरी ज़िंदगी बदल देता है..बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  4. prernadaayi. Sundar abhivyakti

    ReplyDelete
  5. prernadaayi. Sundar abhivyakti

    ReplyDelete
  6. प्रेरणादायक सुन्दर कविता!! आभार पढवाने के लिए!

    ReplyDelete