Saturday, 14 February 2015

कुछ भी नहीं असंभव होता

राधा  देख  नहीं  सकती  है  पढने  से  भी  वह  वञ्चित  है
खीख  उसे  मिलती  है  घर  में  बचपन  में  सुख वर्जित है ।

सूना - पन  था  साथी उसका  सुख  था बिल्कुल अनजाना
उसके  रुदन  में  गान छिपा था रो - कर उसने गाया गाना ।

क्या  सुन्दर - स्वर  था  राधा  का  राधा खुद पर रीझ गई
फिर  मन्दिर  में  जाकर उसने  गीत -  सुनाए  कई -  कई ।

मन्दिर  में  भीड  बहुत  है आज  सबने उसका  गीत सुना
बडे - पुजारी  ने  खुश - हो  कर  भजन  के  लिए उसे चुना ।

मंदिर  में  वह  रोज  सुनाती  श्याम को सुंदर - सुंदर गीत
उसकी  विनती  सुनी  श्याम  ने उसे बनाया मन का मीत ।

पूरे -  देश  में  चर्चा  है अब  राधा  के सु - मधुर गायन की
यश -  वैभव  सब  कुछ मिलता है प्रेम - पूर्ण पारायण की ।

राधा  के  गीतों  की  सी - डी दुनियॉ भर में अब है बिकती
यश का तरु फल  फूल रहा है सुर में कई मुरकियॉ बनती ।

राधा - रानी  को  मिलते  हैं  बडे - बडे अनगिन - सम्मान
क़मज़ोरी ही ताकत बन गई  रुदन  बन गया था वरदान ।

हर मानव में क़मज़ोरी है यह ही जब ताक़त बन जाती
कुछ  भी  नहीं असंभव  होता आशा  ही  बलवान बनाती ।
  

6 comments:

  1. प्रेेरणादायक (खीख=सीख )

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  2. भगवान सभी को कुछ न कुछ गुण अवश्य देते हैं...यही प्रतिभा उनकी ताकत बन जाती है...सुन्दर रचना...

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  3. बहुत प्रेरक...आपकी यह यह प्रेरक श्रंखला अंतस को छू गयी...बहुत बहुत बधाई

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  4. बहुत ही अच्‍छी और प्रेरक रचना।

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  5. बहुत ही अच्‍छी और प्रेरक रचना।

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