बीना छोटी सी बच्ची है पर बीना है प्यार की मारी
अपमानित होती है घर में पर बीना है कितनी प्यारी ।
बोल नहीं सकती है बीना पर पढने का शौक बहुत है
पेन्सिल को कागज़ पर घिसती चित्र बनाती वह अद्भुत है ।
धीरे - धीरे उस बच्ची ने बिल्ली की एक तस्वीर बनाई
फिर चिडिया फिर चूहा मोर सब पर अपना हाथ चलाई ।
एक दिन बीना गाय बनाई फिर बन गया गाय का बछडा
सिखलाती थी अब मॉ बोल पर बडा ढीठ था वह बछडा ।
पर बीना भी तो ज़िद्दी थी मॉ बोल यही था उसका कहना
फिर भी बछडा चुप ही था पर बीना को आ गया बोलना ।
मॉ - मॉ कहती पल्ला - भागी फौरन अपनी मॉ के पास
मॉ की ऑखें भीग गई थीं आज मिला है मॉ को खास ।
देखो कभी निराश न होना आशा का दामन थामे रखना
जितना भी हो घोर- अॅधेरा मन का दिया जलाए रखना ।
अपमानित होती है घर में पर बीना है कितनी प्यारी ।
बोल नहीं सकती है बीना पर पढने का शौक बहुत है
पेन्सिल को कागज़ पर घिसती चित्र बनाती वह अद्भुत है ।
धीरे - धीरे उस बच्ची ने बिल्ली की एक तस्वीर बनाई
फिर चिडिया फिर चूहा मोर सब पर अपना हाथ चलाई ।
एक दिन बीना गाय बनाई फिर बन गया गाय का बछडा
सिखलाती थी अब मॉ बोल पर बडा ढीठ था वह बछडा ।
पर बीना भी तो ज़िद्दी थी मॉ बोल यही था उसका कहना
फिर भी बछडा चुप ही था पर बीना को आ गया बोलना ।
मॉ - मॉ कहती पल्ला - भागी फौरन अपनी मॉ के पास
मॉ की ऑखें भीग गई थीं आज मिला है मॉ को खास ।
देखो कभी निराश न होना आशा का दामन थामे रखना
जितना भी हो घोर- अॅधेरा मन का दिया जलाए रखना ।
बहुत मर्मस्पर्शी और उत्कृष्ट प्रस्तुति...सदैव की तरह एक प्रेरक रचना..
ReplyDeleteबहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !!
ReplyDeleteदेखो कभी निराश न होना आशा का दामन थामे रखना
ReplyDeleteजितना भी हो घोर- अॅधेरा मन का दिया जलाए रखना ।
इस आशा और विश्वास की तो सबको जरूरत है...बधाई !
सकारात्मक सन्देश देती रचना...सुन्दर प्रस्तुति...
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