Monday, 23 March 2015

क्वाला लम्पुर में एक लडकी

क्वाला - लम्पुर  में  एक  लडकी  बेच  रही  थी आइसक्रीम
हँस - हँस कर वह कहती सबको खाओ आइसक्रीम सलीम ।

एक - हाथ  ही  था  लडकी  का  पर  चेहरे  पर  थी मुस्कान
'खाओ  तुम आइसक्रीम  हमारा  तुम  हो  मेरे  ही मेहमान ।

दो - रिंगिट  है  इसकी  कीमत तुम खाकर देखो एक - बार
टेस्टी  हो  तब  रिंगिट देना'  लडकी  कहती  थी  बार - बार ।

हम  सब  ने  तो  सोच  लिया  था आइसक्रीम सभी खायेंगे
दो - रिंगिट  ही  देंगे  उस  को  दाम  नहीं  कम - करवायेंगे ।

लडकी  ने  फिर  हमें  बताया  'मैं  भी  तो  हूँ  हिन्दुस्तानी
पूर्वज  यहॉ  बसे  थे आ -  कर  यही  कहा  करती  है  नानी ।'

लाजो  नाम था उस लडकी का हिन्दी बढिया बोल रही थी
सुन्दर  सुघर  सलोनी थी वह हम सबको वह तौल रही थी ।

'लाजो  घर  में  कौन - कौन हैं ' 'मैं  मॉ के साथ में रहती हूँ
मेरी अम्मा   सर्विस  करती  है  मैं  आइसक्रीम  बेचती  हूँ ।'

'पीडा  सबकी  एक  है लाजो हो मलेशिया या हिन्दुस्तान
चलो  बुलाता  देश  तुम्हारा एक ही मॉ की हम - सन्तान ।'

लाजो  की ऑखों  में ऑसूँ  थे अपने - पन ने उसे रुलाया
अपने  वतन  लौट आए  हम  पर  लाजो को नहीं भुलाया ।

मन  से  कितनी  समर्थ है लाजो यद्यपि तन से है लाचार
कर्म - मार्ग  पर  जो  चलता  है उसका होता है बेडा - पार ।


2 comments:

  1. बहुत खूब, मंगलकामनाएं आपको !!

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  2. सदैव की तरह बहुत प्रभावी और प्रेरक प्रस्तुति..

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