Wednesday, 7 August 2013

तुलसीदास


राम के चरित को मगन  मन गाया जिसने नहीं  कोई  और बड़भागी  तुलसीदास है
जीवन हम  कैसे  जियें उसने बताया  हमें आत्मज्ञान कैसे पायें  विधि उसके पास है ।

देश की  आज़ादी  में तुलसी की बड़ी  भूमिका है पराधीन सपनेहुँ  सुख नाहीं गाया है
आज़ादी का दिया तो जला दिया था तुलसी ने देश स्वाभिमान हमें उसने सिखाया है ।

शैव - वैष्णवों में सदभाव  का उदय  हुआ  एकता  का  पाठ  पूरे  विश्व  को  पढ़ाया है
राम घट -  घट में हैं तुलसी ने समझाया अपरा -  परा  को  संग -  संग उसने गाया है ।

दुनियाँ   है  कर्म  प्रधान  कहा  तुलसी  ने  जैसा  जो  करेगा  वैसा  फल  वह  पायेगा
जिसने  बबूल बोया  कांटे तो चुभेंगे  उसे आम जिसने  बोया  वह मीठा फल खायेगा ।

अहिल्या उध्दार किया राम ने सम्मान दिया नारियों को तिरस्कार कोड़े से बचाया है
 शबरी  के  प्रेम -  भरे  जूठे  बेर  खाए  प्रभु  शबरी - प्रसंग  को  महानदी  ने  गाया  है ।

राजा का धरम क्या प्रजा का  हक़ कितना है राम के चरित ने जगत  को समझाया है
धर्म - अर्थ - काम - मोक्ष  हमारे ही  हाथों में है बार - बार  तुलसी ने यही  दोहराया है ।

पर -  हित पुण्य है यही  कहा  है  तुलसी  ने  दूसरों  को  दुःख  देना  पाप  है बताया है  
श्रुतियों का सार  इसी  सूत्र में समा  गया है सुख का है  श्रोत यही उसने समझाया है  ।

तुलसी चले  गए  हैं  हमें  ऐसा  लगता  है किन्तु  तुलसीदास आज यहाँ  विद्यमान हैं
उनके  पदचिह्न   हमें रास्ता  दिखा  रहे  हैं  हमारी  चेतना  में  तुलसी  विराजमान  हैं ।

शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ  ग  ]

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर वर्णन तुलसी चेतना का।

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  2. सन्त तुलसी को नमन...

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  3. संत तुलसी जी की महिमा जग जाहिर जिन्होंने रामचरित मानस से जनमानस तक राम चरित को सरल और सर्वग्राह्य बना दिया नमन संत के साथ आपको भी बहुत सुन्दर वर्णन

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