एक ----- मन में धीर
पर दुःख की पीर
वो महावीर l
दो ----- त्यागमय ,
वस्त्र तक त्यागा
मृत्युंजय l
तीन -- चेले भी आगे ,
व्यापार में दौड़े
सबसे आगे l
चार -- चिंतन धारा ,
आयाम बहुत है
सहस्त्र - धारा l
पाँच -- सर्वोपरि है ,
अहिंसा परम है
वह हरि है l
छ:-- वो महावीर ,
जिसने मन जीता
वीरों का वीर l
सात- त्यागमूर्ति ,
महावीर स्वामी
समत्वमूर्ति l
आठ- अहिंसक है ,
मन वचन कर्म
सहिष्णु है l
नव -- मन गंभीर ,
कैसे दूर करूँ मैं
पराई - पीर l
दस -- जो बनाते हैं ,
बिगड़ी तकदीर
महावीर हैं l
ग्यारह- हैं धीर - वीर ,
पर- दुःख कातर
हैं महावीर l
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग ]
पर दुःख की पीर
वो महावीर l
दो ----- त्यागमय ,
वस्त्र तक त्यागा
मृत्युंजय l
तीन -- चेले भी आगे ,
व्यापार में दौड़े
सबसे आगे l
चार -- चिंतन धारा ,
आयाम बहुत है
सहस्त्र - धारा l
पाँच -- सर्वोपरि है ,
अहिंसा परम है
वह हरि है l
छ:-- वो महावीर ,
जिसने मन जीता
वीरों का वीर l
सात- त्यागमूर्ति ,
महावीर स्वामी
समत्वमूर्ति l
आठ- अहिंसक है ,
मन वचन कर्म
सहिष्णु है l
नव -- मन गंभीर ,
कैसे दूर करूँ मैं
पराई - पीर l
दस -- जो बनाते हैं ,
बिगड़ी तकदीर
महावीर हैं l
ग्यारह- हैं धीर - वीर ,
पर- दुःख कातर
हैं महावीर l
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग ]
सुन्दर, सहज, सरल, गंभीर, कम शब्द में जीवन सार .....
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकारें और बधाई भी ...
सुन्दर, सहज, सरल, गंभीर, कम शब्द में जीवन सार .....
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकारें और बधाई भी ... आदरणीया आप मेरी रीडिंग लिस्ट में हैं