अपने सुख - दुःख के स्वामी तुम्हीं हो सखे अपनी मर्ज़ी से तुमने ये सुख - दुःख चखे
कर्म का फल तो मिलता है संसार में आजमा लो यही बात सच है सखे l
कोई दूजा तुम्हें दुःख नहीं देता है अपनी मर्ज़ी से दुःख पाते हो तुम सखे
बात इतनी सी है तुम भी यह जान लो सुख है सत्कर्म , दुष्कर्म दुःख है सखे l
मैंने भोगा है तू भी 'शकुन ' जान ले
मुश्किलें हैं बहुत सच के पथ पर सखे l
शकुन्तला शर्मा
भिलाई [छ ग ]
मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं सच के सफर पर...
ReplyDeleteसच का पथ मुश्किल तो झूठ का और भी मुश्किल.
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