मैं हूँ नारी मैं मां हूँ बेटी हूँ प्रेम - शावक को मैं ही सेती हूँ
मेरी आँखों में प्रेम पलता है पीर लेती हूँ सुख मैं देती हूँ l
मैं हूँ नारी
प्रेयसी बन मैं थामती नर को हर पुरुष बिन मेरे अधूरा है
मैं ही अर्धांगिनी हूँ प्रियतम की घर मुझसे ही होता पूरा हैl
मैं हूँ नारी
मैं ही परिवार की प्रतिष्ठा हूँ घर - आँगन को मैं सजाती हूँ
मैं ही बचपन सँवारती सबका गीत शैशव के लिए गाती हूँ l
मैं हूँ नारी
मैं सुनाती हूँ पंचतंत्र कथा मैं ही आल्हा उसे सुनाती हूँ
वेद - शास्त्रों का ज्ञान देती हूँ मैं ही मानव उसे बनाती हूँ l
मैं हूँ नारी
धन पराया हूँ फिर भी मैं ही तो वल्लरी वंश की बढ़ाती हूँ
जन्म लेने दो मुझको मत मारो कल के वैभव की नई थाती हूँ l
मैं हूँ नारी
शकुन्तला शर्मा
भिलाई [छ ग ]
मेरी आँखों में प्रेम पलता है पीर लेती हूँ सुख मैं देती हूँ l
मैं हूँ नारी
प्रेयसी बन मैं थामती नर को हर पुरुष बिन मेरे अधूरा है
मैं ही अर्धांगिनी हूँ प्रियतम की घर मुझसे ही होता पूरा हैl
मैं हूँ नारी
मैं ही परिवार की प्रतिष्ठा हूँ घर - आँगन को मैं सजाती हूँ
मैं ही बचपन सँवारती सबका गीत शैशव के लिए गाती हूँ l
मैं हूँ नारी
मैं सुनाती हूँ पंचतंत्र कथा मैं ही आल्हा उसे सुनाती हूँ
वेद - शास्त्रों का ज्ञान देती हूँ मैं ही मानव उसे बनाती हूँ l
मैं हूँ नारी
धन पराया हूँ फिर भी मैं ही तो वल्लरी वंश की बढ़ाती हूँ
जन्म लेने दो मुझको मत मारो कल के वैभव की नई थाती हूँ l
मैं हूँ नारी
शकुन्तला शर्मा
भिलाई [छ ग ]
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