छत्तीसगढ़ही गरु गुरतुर है हिंदी जितनी ही प्यारी है
हिंदी जैसी ही सुन्दर है हिंदी जितनी ही प्यारी है l
सरल सरस समरस भी है इसका अपना आकर्षण है
अपरा परा गुनगुनाती है हिंदी जितनी ही प्यारी है l
वेद शास्त्र सब गा सकती है सबकी व्याख्या करती है
ओजस्वी आभा मण्डल है हिदी जितनी ही प्यारी है l
रूप है गुण है सम्मोहन है महतारी जैसी महिमा है l
प्राणी अनायास खिंचता है हिंदी जितनी ही प्यारी है l
स्पर्श राम का यह पाई है यह तो महानदी जैसी है
शबरी गाथा यह गाती है हिंदी जितनी ही प्यारी है l
अति उदार संस्कृति वाली है भेद भाव से यह ऊपर है
' शकुन 'यह बानी बहुत मधुर है हिंदी जितनी प्यारी है l
शकुन्तला शर्मा
भिलाई [छ ग ]
सुंदर गज़ल. अभिनन्दन.
ReplyDeletethank u rachna.please cont.me 09302830030
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