भौतिक आध्यात्मिक पदार्थ को मनुज आपस में जोड़ देता है
इस रहस्य को जान - समझ कर विविध शक्तियाँ पा लेता है ।
भौतिकता से पंच - प्राण जुड़ते हैं विविध लोक से प्राण जुड़े हैं
भौतिक- बल सूक्ष्म - शक्ति की पूरक दोनों तत्त्व महान बड़े हैं ।
"ओंकार " की महिमा अद्भुत यह तो है परमेश्वर का नाम
ओम समाधान - सूचक है अति- अद्भुत है इसका काम ।
चिंतन - मनन - निदिध्यासन भी हर मनुज हेतु आवश्यक है
सदाचार है बहुत जरूरी इह - पर गुण का यह गाहक है ।
सत्यवचा - ऋषि का कहना है सच ही गुण में सर्व - श्रेष्ठ है
प्रत्येक कर्म हो सत्य - निष्ठ तभी फल भी होता यथेष्ठ है ।
धर्म में दृढ़ता तब आती है तप की कसौटी सत्य - वचन है
नाक मुनि यह समझाते हैं श्रेष्ठ तपस्या वेद - पठन है ।
श्रुतियों के अनुकूल कर्म हो बाधाएँ हमें डिगा न पायें
दृढ़ता से तप करें हम सभी सत्य - भाव के पथ पर जायें ।
जैसा चिन्तन मानव करता है वह वैसा ही बन जाता है
संकल्प सदा पूरा होता है भावानुसार नर फल पाता है।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ ग ]
इस रहस्य को जान - समझ कर विविध शक्तियाँ पा लेता है ।
भौतिकता से पंच - प्राण जुड़ते हैं विविध लोक से प्राण जुड़े हैं
भौतिक- बल सूक्ष्म - शक्ति की पूरक दोनों तत्त्व महान बड़े हैं ।
"ओंकार " की महिमा अद्भुत यह तो है परमेश्वर का नाम
ओम समाधान - सूचक है अति- अद्भुत है इसका काम ।
चिंतन - मनन - निदिध्यासन भी हर मनुज हेतु आवश्यक है
सदाचार है बहुत जरूरी इह - पर गुण का यह गाहक है ।
सत्यवचा - ऋषि का कहना है सच ही गुण में सर्व - श्रेष्ठ है
प्रत्येक कर्म हो सत्य - निष्ठ तभी फल भी होता यथेष्ठ है ।
धर्म में दृढ़ता तब आती है तप की कसौटी सत्य - वचन है
नाक मुनि यह समझाते हैं श्रेष्ठ तपस्या वेद - पठन है ।
श्रुतियों के अनुकूल कर्म हो बाधाएँ हमें डिगा न पायें
दृढ़ता से तप करें हम सभी सत्य - भाव के पथ पर जायें ।
जैसा चिन्तन मानव करता है वह वैसा ही बन जाता है
संकल्प सदा पूरा होता है भावानुसार नर फल पाता है।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ ग ]
यथा चिन्तन, तथा जीवन
ReplyDeleteजैसा चिन्तन मानव करता है वह वैसा ही बन जाता है
ReplyDeleteसंकल्प सदा पूरा होता है भावानुसार नर फल पाता है।
परम सत्य !
http://zaruratakaltara.blogspot.in/2013/09/blog-post.html
ReplyDeleteविनम्र आग्रह २ का अवलोकन की कृपा कर अपना अमूल्य विचार दें
manasa, wachaa, karmana ki aasth jagata post behatarin.