सभी कोसते हैं बच्ची को बोल नहीं पाती है 'पाई '
पर सुनती है बहुत ध्यान से और बजाती है शहनाई ।
पिता बजाते जब शहनाई तब बडे ध्यान से सुनती है
वह चुपके से रियाज़ करती रागों की कडियॉ बुनती है ।
उसका मन भी करता है कि वह प्रति - दिन जाए स्कूल
सब बच्चों के संग पढे वह कभी भी कोई हो न भूल ।
'पाई' शहनाई बजा रही थी तो मास्टर जी ने देख लिया
बडे गुरु जी के संग आए 'पाई ' के पिता से बात किया ।
'पाई' का फिर हुआ दाखिला बेहद खुश है ' पाई ' आज
ठुमक ठुमक कर नाच रही है मिला हो जैसे कोई ताज़ ।
पढने में है तेज बहुत वह बहुत ध्यान से सुनती है
उससे जब पूछा जाता है तब उत्तर में लिखती है ।
वक्त भागता अपनी गति से पर है समय बडा- बलवान
रुकता नहीं कभी भी लेक़िन चलने में है पहलवान ।
'पाई' अब कॉलेज में आई उसका परिचय भी आया है
कइयों ने उपहास किया है तो बहुतों ने अपनाया है ।
तुलसी - जयन्ती मना रहे हैं 'पाई' के कॉलेज में आज
मानस पर शहनाई वादन पर खुल सकता है यह राज़ ।
'पाई' की शहनाई सुन कर पूरा कॉलेज आनन्दित है
बहुत दिनों के बाद मिला यह कलाकार अभिनंदित है ।
'पाई' सबकी मीत बन गई 'पाई' बनी आज सिरमौर
अपने घर में मिली प्रतिष्ठा 'पाई' पर सबने किया गौर ।
सब अखबारों पर छाई है 'पाई' की सुमधुर शहनाई
शहनाई है 'पाई' या फिर 'पाई' ही बन गई शहनाई ।
'पाई' के घर के आगे है मिलने वालों की भारी भीड
हाथ जोड अभिवादन करती गदगद है 'पाई' का नीड ।
एक बडा अधिकारी तब ही 'पाई' से मिलने आया है
उसने कहा दूर - दर्शन में सर्विस का ऑफर लाया है ।
'पाई' करने लगी नौकरी फिर घर की हालत ठीक़ हुई
गाडी पटरी पर आई है घर की काया निखर - गई ।
पावस नामक लडके से फिर 'पाई' का मनमेल हो गया
जल तरंग वादक है पावस पनप रहा है दया - मया ।
संग - संग अक्सर दिखते हैं वे दोनों पावस और पाई
इस दुनियॉ की जीभ बताती बजने वाली है शहनाई ।
पर सुनती है बहुत ध्यान से और बजाती है शहनाई ।
पिता बजाते जब शहनाई तब बडे ध्यान से सुनती है
वह चुपके से रियाज़ करती रागों की कडियॉ बुनती है ।
उसका मन भी करता है कि वह प्रति - दिन जाए स्कूल
सब बच्चों के संग पढे वह कभी भी कोई हो न भूल ।
'पाई' शहनाई बजा रही थी तो मास्टर जी ने देख लिया
बडे गुरु जी के संग आए 'पाई ' के पिता से बात किया ।
'पाई' का फिर हुआ दाखिला बेहद खुश है ' पाई ' आज
ठुमक ठुमक कर नाच रही है मिला हो जैसे कोई ताज़ ।
पढने में है तेज बहुत वह बहुत ध्यान से सुनती है
उससे जब पूछा जाता है तब उत्तर में लिखती है ।
वक्त भागता अपनी गति से पर है समय बडा- बलवान
रुकता नहीं कभी भी लेक़िन चलने में है पहलवान ।
'पाई' अब कॉलेज में आई उसका परिचय भी आया है
कइयों ने उपहास किया है तो बहुतों ने अपनाया है ।
तुलसी - जयन्ती मना रहे हैं 'पाई' के कॉलेज में आज
मानस पर शहनाई वादन पर खुल सकता है यह राज़ ।
'पाई' की शहनाई सुन कर पूरा कॉलेज आनन्दित है
बहुत दिनों के बाद मिला यह कलाकार अभिनंदित है ।
'पाई' सबकी मीत बन गई 'पाई' बनी आज सिरमौर
अपने घर में मिली प्रतिष्ठा 'पाई' पर सबने किया गौर ।
सब अखबारों पर छाई है 'पाई' की सुमधुर शहनाई
शहनाई है 'पाई' या फिर 'पाई' ही बन गई शहनाई ।
'पाई' के घर के आगे है मिलने वालों की भारी भीड
हाथ जोड अभिवादन करती गदगद है 'पाई' का नीड ।
एक बडा अधिकारी तब ही 'पाई' से मिलने आया है
उसने कहा दूर - दर्शन में सर्विस का ऑफर लाया है ।
'पाई' करने लगी नौकरी फिर घर की हालत ठीक़ हुई
गाडी पटरी पर आई है घर की काया निखर - गई ।
पावस नामक लडके से फिर 'पाई' का मनमेल हो गया
जल तरंग वादक है पावस पनप रहा है दया - मया ।
संग - संग अक्सर दिखते हैं वे दोनों पावस और पाई
इस दुनियॉ की जीभ बताती बजने वाली है शहनाई ।
सुन्दर मेल पावस पाई और गीत का !
ReplyDeleteबहुत मधुर और प्रेरक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत मधुर और प्रेरक अभिव्यक्ति...
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