केरल कितना हरा - भरा है खाने को मिलता काजू -केला
ओणम में केरल आ जाओ घर - ऑगन में लगता मेला ।
केरल में रहती है कविता पर उसके दोनों - हाथ नहीं हैं
पॉव - हाथ बन गए हैं उसके हो जाता हर काम सही है ।
कविता खुश है आज है ओणम नवा धान पाने का अवसर
ऑगन में अल्पना सजेगी चौक फूल से बनती अक्सर ।
कविता ने अपने ऑगन में फूलों से अल्पना - बनाई
फिर पत्तों को ऑचल जैसे वह अपनी अल्पना सजाई ।
इतनी सुंदर बनी अल्पना अद्भुत अद्वितीय और अनुपम
उसकी कला के कायल सब है बनी अल्पना सुन्दरतम ।
दुनियॉ भर में अब है चर्चित कविता की वह सुंदर रचना
कविता ने सोचा भी न था कभी भी ऐसा सुन्दर - सपना ।
हर कोई यह जान गया है नहीं हैं उस के दोनों - हाथ
फिर भी लडकों में होड मची है सभी चाहते उसका साथ ।
कविता बोझ बनी थी घर पर आज सभी को है अभिमान
पॉच - लाख देकर केरल ने किया है कविता का सम्मान ।
वैभव - लक्ष्मी घर में आई घर का बदल गया व्यवहार
कल तक भोजन के लाले थे अब मिलता है फलाहार ।
शब्द - सयाना सा लडका है वह कविता से करता प्यार
दो - बीघा ज़मीन है उसकी कर बैठा है वह इज़हार ।
दोनों का घर आसपास है एक - दूजे से वे परिचित हैं
शब्द भा गया है कविता को आगे दोनों की किस्मत है ।
घर भी खुश है इस रिश्ते से बहुत पुरानी है पहचान
गुण - दोषों पर भारी पडता गुण की परख भी है आसान ।
फिर अल्पना बनेगी सुन्दर कविता का है आज निश्चयम
दूल्हा - सजा - धजा बैठा है बाराती हैं आप और हम ।
ओणम में केरल आ जाओ घर - ऑगन में लगता मेला ।
केरल में रहती है कविता पर उसके दोनों - हाथ नहीं हैं
पॉव - हाथ बन गए हैं उसके हो जाता हर काम सही है ।
कविता खुश है आज है ओणम नवा धान पाने का अवसर
ऑगन में अल्पना सजेगी चौक फूल से बनती अक्सर ।
कविता ने अपने ऑगन में फूलों से अल्पना - बनाई
फिर पत्तों को ऑचल जैसे वह अपनी अल्पना सजाई ।
इतनी सुंदर बनी अल्पना अद्भुत अद्वितीय और अनुपम
उसकी कला के कायल सब है बनी अल्पना सुन्दरतम ।
दुनियॉ भर में अब है चर्चित कविता की वह सुंदर रचना
कविता ने सोचा भी न था कभी भी ऐसा सुन्दर - सपना ।
हर कोई यह जान गया है नहीं हैं उस के दोनों - हाथ
फिर भी लडकों में होड मची है सभी चाहते उसका साथ ।
कविता बोझ बनी थी घर पर आज सभी को है अभिमान
पॉच - लाख देकर केरल ने किया है कविता का सम्मान ।
वैभव - लक्ष्मी घर में आई घर का बदल गया व्यवहार
कल तक भोजन के लाले थे अब मिलता है फलाहार ।
शब्द - सयाना सा लडका है वह कविता से करता प्यार
दो - बीघा ज़मीन है उसकी कर बैठा है वह इज़हार ।
दोनों का घर आसपास है एक - दूजे से वे परिचित हैं
शब्द भा गया है कविता को आगे दोनों की किस्मत है ।
घर भी खुश है इस रिश्ते से बहुत पुरानी है पहचान
गुण - दोषों पर भारी पडता गुण की परख भी है आसान ।
फिर अल्पना बनेगी सुन्दर कविता का है आज निश्चयम
दूल्हा - सजा - धजा बैठा है बाराती हैं आप और हम ।
असमर्थता मन की होती है, तन की नहीं...अगर मन में लगन हो तो कोई भी शारीरिक कमी रास्ते की बाधा नहीं बन सकती...बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति...आभार
ReplyDeleteमैं आपके बलोग को बहुत पसंद करता है इसमें बहुत सारी जानकारियां है। मेरा भी कार्य कुछ इसी तरह का है और मैं Social work करता हूं। आप मेरी साईट को पढ़ने के लिए यहां पर Click करें-
ReplyDeleteHerbal remedies