कोलकाता में एक लडकी है उस बच्ची का प्रिया नाम है
प्रिया के दोनों हाथ नहीं हैं उस पर टूटा - आसमान है ।
प्रिया बोझ है पिता के लिए मॉ भगवान को हो गई प्यारी
प्रिया बहुत ही समझदार है ईश्वर की लीला है न्यारी ।
उसके पॉव ही हाथ बन गए पेपर - पेन्सिल से लिखती है
अनजाने में कुछ चित्र बन गए प्रिया उसी से बोलती है ।
अभ्यास ही सबसे बडा गुरु है उसका तो बस वही है खेल
घर में अकेली ही रहती है है पेपर - पेन्सिल से मेल ।
कुत्ता - बिल्ली बहुत बनाई और बनाई सुन्दर - चिडिया
पॉव में आती गई सफाई चित्र बने हैं बढिया - बढिया ।
एक दिन मॉ का चित्र बनाई रोना आया उसे देखकर
पिता को उसने दिखलाया है सुंदर कहा पिता ने हँस कर ।
पंख लग गए तभी प्रिया के उसे मिल गई है सञ्जीवनी
उसने पिता का चित्र बनाया कला में होती ऊर्जा कितनी ?
बहुत खुश हुए पापा उसके ड्राइंग का दिया सभी - सामान
अब तो प्रिया की बन आई है अब चित्र बनाना है आसान ।
उसने मोदी का चित्र बनाया वह चित्र बहुत ही सुन्दर है
फिर पिता ने नेट में डाल दिया यह एक अद्भुत अवसर है ।
नरेन्द्र - भाई ने इसको देखा 'अद्भुत है यह कौन बनाया '
जब मोदी जी ने पता किया तब पूरा सच सामने आया ।
कोलकाता आ गए हैं मोदी प्रिया से उनको मिलना है
प्रिया के घर पर भीड लगी है प्रिया को भी कुछ कहना है ।
' कलाकार है प्रिया हमारी मैं लेकर आया हूँ पुरस्कार
आज से यह मेरी बेटी है' मिला कला को यह उपहार ।
'कला में यह बच्ची प्रवीण है बच्ची का हो सदा उन्नयन
हर सुविधा उपलब्ध इसे हो हँसता हुआ मिले ऑगन ।'
बच्ची हँसती है जोर - जोर से और ठुमकने लगती है
किंतु ऑख सबकी भर आई भरी ऑख भी कुछ कहती है ।
प्रिया के दोनों हाथ नहीं हैं उस पर टूटा - आसमान है ।
प्रिया बोझ है पिता के लिए मॉ भगवान को हो गई प्यारी
प्रिया बहुत ही समझदार है ईश्वर की लीला है न्यारी ।
उसके पॉव ही हाथ बन गए पेपर - पेन्सिल से लिखती है
अनजाने में कुछ चित्र बन गए प्रिया उसी से बोलती है ।
अभ्यास ही सबसे बडा गुरु है उसका तो बस वही है खेल
घर में अकेली ही रहती है है पेपर - पेन्सिल से मेल ।
कुत्ता - बिल्ली बहुत बनाई और बनाई सुन्दर - चिडिया
पॉव में आती गई सफाई चित्र बने हैं बढिया - बढिया ।
एक दिन मॉ का चित्र बनाई रोना आया उसे देखकर
पिता को उसने दिखलाया है सुंदर कहा पिता ने हँस कर ।
पंख लग गए तभी प्रिया के उसे मिल गई है सञ्जीवनी
उसने पिता का चित्र बनाया कला में होती ऊर्जा कितनी ?
बहुत खुश हुए पापा उसके ड्राइंग का दिया सभी - सामान
अब तो प्रिया की बन आई है अब चित्र बनाना है आसान ।
उसने मोदी का चित्र बनाया वह चित्र बहुत ही सुन्दर है
फिर पिता ने नेट में डाल दिया यह एक अद्भुत अवसर है ।
नरेन्द्र - भाई ने इसको देखा 'अद्भुत है यह कौन बनाया '
जब मोदी जी ने पता किया तब पूरा सच सामने आया ।
कोलकाता आ गए हैं मोदी प्रिया से उनको मिलना है
प्रिया के घर पर भीड लगी है प्रिया को भी कुछ कहना है ।
' कलाकार है प्रिया हमारी मैं लेकर आया हूँ पुरस्कार
आज से यह मेरी बेटी है' मिला कला को यह उपहार ।
'कला में यह बच्ची प्रवीण है बच्ची का हो सदा उन्नयन
हर सुविधा उपलब्ध इसे हो हँसता हुआ मिले ऑगन ।'
बच्ची हँसती है जोर - जोर से और ठुमकने लगती है
किंतु ऑख सबकी भर आई भरी ऑख भी कुछ कहती है ।
लाज़वाब प्रेरक प्रस्तुति...
ReplyDeleteप्रेरणास्पद
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