Wednesday, 18 March 2015

उपहार

कोलकाता में एक लडकी है उस बच्ची का प्रिया नाम है
प्रिया  के  दोनों  हाथ  नहीं हैं उस पर टूटा - आसमान है ।

प्रिया बोझ है पिता के लिए मॉ भगवान को हो गई प्यारी
प्रिया  बहुत  ही  समझदार  है  ईश्वर  की लीला है न्यारी ।

उसके पॉव ही हाथ बन गए पेपर - पेन्सिल से लिखती है
अनजाने  में  कुछ चित्र बन गए प्रिया उसी से बोलती है ।

अभ्यास ही सबसे बडा गुरु है उसका तो बस वही है खेल
घर  में अकेली  ही  रहती  है  है  पेपर - पेन्सिल  से मेल ।

कुत्ता - बिल्ली बहुत बनाई और  बनाई सुन्दर - चिडिया
पॉव  में आती  गई  सफाई  चित्र बने हैं बढिया - बढिया ।

एक  दिन  मॉ  का  चित्र  बनाई  रोना आया उसे देखकर
पिता को उसने दिखलाया है सुंदर कहा पिता ने हँस कर ।

पंख  लग  गए तभी प्रिया के उसे मिल गई है सञ्जीवनी
उसने  पिता का चित्र बनाया कला में होती ऊर्जा कितनी ?

बहुत खुश हुए पापा उसके ड्राइंग का दिया सभी - सामान
अब तो प्रिया की बन आई है अब चित्र बनाना है आसान ।

उसने  मोदी  का चित्र बनाया वह चित्र बहुत ही सुन्दर है
फिर पिता ने नेट में डाल दिया यह एक अद्भुत अवसर है ।

नरेन्द्र - भाई ने इसको देखा 'अद्भुत है यह कौन बनाया '
जब  मोदी  जी ने पता किया तब पूरा सच सामने आया ।

कोलकाता आ  गए  हैं  मोदी  प्रिया से उनको मिलना है
प्रिया के घर पर भीड लगी है प्रिया को भी कुछ कहना है ।

' कलाकार  है  प्रिया  हमारी मैं लेकर आया हूँ  पुरस्कार
आज  से  यह  मेरी  बेटी  है' मिला कला को यह उपहार ।

'कला में यह बच्ची प्रवीण है बच्ची का हो सदा उन्नयन
हर  सुविधा  उपलब्ध  इसे  हो हँसता हुआ मिले ऑगन ।'

बच्ची  हँसती  है जोर - जोर  से और ठुमकने  लगती  है
किंतु ऑख सबकी भर आई भरी ऑख भी कुछ कहती है । 

2 comments:

  1. लाज़वाब प्रेरक प्रस्तुति...

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  2. प्रेरणास्पद

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