चौदह अगस्त की संध्या थी वह देस राग की ही बहार थी
विचित्र - वीणा का वादन था विभावरी वह कलाकार थी ।
हम पहुँचें इसके पहले ही विभा वहॉ पर विराजमान थी
वीणा उसके हाथों में थी सरस्वती - सम विद्यमान थी ।
प्रोग्राम बहुत ही दिलकश था नाम था उसका 'देस राग'
शीर्षक सबको खूब जँचा था जैसे पंखुडियों - बीच पराग ।
परिचय की मोहताज़ नहीं थी विभावरी ने छेडी - तार
जब वीणा के छिडे तार तो अद्भुत थी उसकी झंकार ।
आसा ने आलाप लिया था 'चिट्ठी आई है' वाला गीत
जनता खोई थी उस धुन में तभी हो गया गीत अतीत ।
करतल ध्वनि से हॉल भर गया यद्यपि ऑखें भर आई थीं
वीणा चुप हो गई किन्तु अब दर्शक - दीर्घा हर्षायी थी ।
तभी विभा का परिचय देने आसा वरी वहॉ आई है
उसने कहा " विभा अँधी है " वह मेरी ही सहोदरा है ।
" मैं भी देख नहीं सकती हूँ पर मैं भी गाती हूँ गीत
विभावरी - वीणा पर होती मन - बहलाता है संगीत ।"
सन्नाटा छा गया हॉल में पसरा था बस केवल मौन
यह क्या हुआ क्यों हुआ ऐसा ऐसी सज़ा दिया है कौन ?
आसा - विभावरी बहनों में ऐसी विचित्र सी थी झंकार
शब्द - तार मिल गए परस्पर अद्भुत था यह चमत्कार ।
बिन ऑखों की दो - बहनों ने नयनों में भर दिया है जल
पर अद्भुत वरदान मिल गया अब उज्ज्वल है उनका कल ।
विचित्र - वीणा का वादन था विभावरी वह कलाकार थी ।
हम पहुँचें इसके पहले ही विभा वहॉ पर विराजमान थी
वीणा उसके हाथों में थी सरस्वती - सम विद्यमान थी ।
प्रोग्राम बहुत ही दिलकश था नाम था उसका 'देस राग'
शीर्षक सबको खूब जँचा था जैसे पंखुडियों - बीच पराग ।
परिचय की मोहताज़ नहीं थी विभावरी ने छेडी - तार
जब वीणा के छिडे तार तो अद्भुत थी उसकी झंकार ।
आसा ने आलाप लिया था 'चिट्ठी आई है' वाला गीत
जनता खोई थी उस धुन में तभी हो गया गीत अतीत ।
करतल ध्वनि से हॉल भर गया यद्यपि ऑखें भर आई थीं
वीणा चुप हो गई किन्तु अब दर्शक - दीर्घा हर्षायी थी ।
तभी विभा का परिचय देने आसा वरी वहॉ आई है
उसने कहा " विभा अँधी है " वह मेरी ही सहोदरा है ।
" मैं भी देख नहीं सकती हूँ पर मैं भी गाती हूँ गीत
विभावरी - वीणा पर होती मन - बहलाता है संगीत ।"
सन्नाटा छा गया हॉल में पसरा था बस केवल मौन
यह क्या हुआ क्यों हुआ ऐसा ऐसी सज़ा दिया है कौन ?
आसा - विभावरी बहनों में ऐसी विचित्र सी थी झंकार
शब्द - तार मिल गए परस्पर अद्भुत था यह चमत्कार ।
बिन ऑखों की दो - बहनों ने नयनों में भर दिया है जल
पर अद्भुत वरदान मिल गया अब उज्ज्वल है उनका कल ।
बहुत प्रेरक प्रस्तुति...कोशिश करने वालों की राह में शारीरिक अक्षमता कभी बाधा नहीं बनती...
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