कल्हण के कश्मीर का केशर कितना सुंदर कितना सुखकर
' राजतरंगिणी ' की तरंग भी सब कुछ कहती है चुप रह कर ।
' मैं तो कालजयी - रचना हूँ कोई मुझे भूल नहीं सकता
अद्भुत - निधि हूँ मैं पूर्वज की हर कोई अभिनन्दन करता ।
पहल - गॉव की बात बताऊँ आओ अब वहॉ घुमा लाऊँ
जाफरीन नामक लडकी है उस बच्ची की बात - बताऊँ ।
देख नहीं सकती है बच्ची पर करती है मन्त्र -उच्चार
वैदिक - मंत्र याद हैं उसको वेद - ऋचा से करती प्यार ।
ऑखें सुन्दर हैं दृष्टि नहीं है पर बडे ध्यान से सुनती है
जो भी एक - बार सुनती है उसको फिर मन में गुनती है ।
फिर हू - ब - हू उसे दोहराती अचरज करते हैं सब लोग
जाफरीन है गार्गी जैसी जीवन का करती सत - उपयोग ।
सत्य - नारायण की पूजा हो या हो वैभव - लक्ष्मी पूजा
यज्ञ - होम हो जन्म - दिवस हो ज़ाफरीन करवाती पूजा ।
ज़ाफरीन है श्रेष्ठ - पुरोहित वह सुन्दर पूजा - करवाती
दान - दक्षिणा जो मिलती है अम्मी के हाथों में पकडाती ।
घर का खर्च निकल जाता है पर अम्मी करती है फिक्र
कैसे हो निकाह बच्ची का जब ज़ाफरीन का होता ज़िक्र ।
काल - चक्र चलता रहता है करता नहीं कभी - विश्राम
दिन के बाद रात आती है समय - चक्र चलता अविराम ।
ज़ाफरीन अब बडी हो गई पर अम्मी अब हो गई हैं पस्त
जस - पडोस में ही रहता है ज़ाफरीन का वह है दोस्त ।
दोनों का व्यवहार देख कर लगता है वे सहज नहीं हैं
पता नहीं क्या हुआ है इन्हें कुछ शुभ है जो हुआ सही है ।
पर अम्मी सब समझ गई हैं वे पहुँची हैं जस के घर पर
उसकी मॉ से बात हुई है शुभ शुभ हुआ है जस के घर पर ।
धूम - धाम से ब्याह हो गया सब ने आशीर्वाद दिया है
' एक दूजे के लिए बने हो ' सब ने उन से यही कहा है ।
' राजतरंगिणी ' की तरंग भी सब कुछ कहती है चुप रह कर ।
' मैं तो कालजयी - रचना हूँ कोई मुझे भूल नहीं सकता
अद्भुत - निधि हूँ मैं पूर्वज की हर कोई अभिनन्दन करता ।
पहल - गॉव की बात बताऊँ आओ अब वहॉ घुमा लाऊँ
जाफरीन नामक लडकी है उस बच्ची की बात - बताऊँ ।
देख नहीं सकती है बच्ची पर करती है मन्त्र -उच्चार
वैदिक - मंत्र याद हैं उसको वेद - ऋचा से करती प्यार ।
ऑखें सुन्दर हैं दृष्टि नहीं है पर बडे ध्यान से सुनती है
जो भी एक - बार सुनती है उसको फिर मन में गुनती है ।
फिर हू - ब - हू उसे दोहराती अचरज करते हैं सब लोग
जाफरीन है गार्गी जैसी जीवन का करती सत - उपयोग ।
सत्य - नारायण की पूजा हो या हो वैभव - लक्ष्मी पूजा
यज्ञ - होम हो जन्म - दिवस हो ज़ाफरीन करवाती पूजा ।
ज़ाफरीन है श्रेष्ठ - पुरोहित वह सुन्दर पूजा - करवाती
दान - दक्षिणा जो मिलती है अम्मी के हाथों में पकडाती ।
घर का खर्च निकल जाता है पर अम्मी करती है फिक्र
कैसे हो निकाह बच्ची का जब ज़ाफरीन का होता ज़िक्र ।
काल - चक्र चलता रहता है करता नहीं कभी - विश्राम
दिन के बाद रात आती है समय - चक्र चलता अविराम ।
ज़ाफरीन अब बडी हो गई पर अम्मी अब हो गई हैं पस्त
जस - पडोस में ही रहता है ज़ाफरीन का वह है दोस्त ।
दोनों का व्यवहार देख कर लगता है वे सहज नहीं हैं
पता नहीं क्या हुआ है इन्हें कुछ शुभ है जो हुआ सही है ।
पर अम्मी सब समझ गई हैं वे पहुँची हैं जस के घर पर
उसकी मॉ से बात हुई है शुभ शुभ हुआ है जस के घर पर ।
धूम - धाम से ब्याह हो गया सब ने आशीर्वाद दिया है
' एक दूजे के लिए बने हो ' सब ने उन से यही कहा है ।
जैसे जाफरीन का शुभ हुआ वैसे सभी का हो
ReplyDeleteजाफरीन का भविष्य सुखद हो !
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