" तुम लोगों ने कृष्ण का नाम तो सुना होगा ? " सबने एक स्वर में कहा -" हॉ ।"
" वही मेरा हीरो है ।"
"वे तो किसी फिल्म में काम नहीं किए हैं तो वे हीरो कैसे हो सकते हैं ?"
" विप्लव ! क्या तुम इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हो ?"
" जिस क्लास में रितिक और प्रीति जिंटा पढते हैं , कृष्ण वहॉ के हेड- मास्टर रह चुके हैं । है न मैडम ?"
पूरा माहौल ठहाकों से भर गया । उसी समय बेल लग गई और प्रिंसिपल सर , मुस्कुराते हुए बाहर निकल गए ।
कृष्ण का चरित्र मुझे बहुत आकर्षित करता है । उसका चरित्र अनूठा है । विरोधाभास से भरा हुआ है । हर घडी कौतूहल है , नित - नवीन है और आनन्द से भरा हुआ है । उसने अपने जीवन में कितने उल्टे - पुल्टे काम किए पर फिर भी - " कृष्णं वन्दे जगत्गुरुम् ।"
कंस - वध के पश्चात् , कंस के ससुर , जरासंध ने , मथुरा पर, बार - बार , आक्रमण किया । उसने सत्रह - बार आक्रमण किया और कृष्ण को ललकारा । ऐसी परिस्थिति में , कृष्ण को , यदुवंशियों की सुरक्षा की चिन्ता होने लगी । वे यादवों को , मथुरा से निकाल कर , कहीं अन्यत्र बसाना चाहते थे पर यादव मथुरा छोडने के लिए तैयार ही नहीं थे , तब कृष्ण ने रातों - रात , जब यदुवंशी सो रहे थे , उन्हें नींद में ही , द्वारिका में शिफ्ट कर दिया । इस कृत्य के लिए उन्हें " रण- छोड " की उपाधि से अपमानित भी होना पडा पर उन्हें क्या फर्क पडता है ?
यदुवंशी , जब भोर के धुँधलके में जगे , तो बिस्तर से उठ- कर , चलते हुए , दीवारों से टकराने लगे और " द्वारि कः = दरवाजा किधर है ? " कह कर , एक - दूसरे से पूछने लगे और इस प्रकार , समुद्र के भीतर , बसाए गए , उस नगर का नाम "द्वारिका " पड गया , जो देश के चार पीठों में से एक है ।
बहुत रोचक प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह...अद्भुत कथा..कृष्ण को नमन..
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट...ज्ञानवर्धक जानकारी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कथा और रोचक जानकारी … आभार
ReplyDeleteरोचक अंदाज़ :)
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeletebahut hi rochak or gyaanvardhak............bahut 2 badhaaiyaan triveni --
ReplyDeletealankaran sammaan ke liye.....shubh-kaaamnaayen...