Wednesday, 25 June 2014

द्वारिका

मैं भिलाई स्टील प्लांट के स्कूल में , बच्चों को संस्कृत पढाती थी । मैं तीस मिनट से ज़्यादा कभी नहीं पढाती थी । जो थोडा सा समय बचता था उसमें बच्चों के साथ गप्पें मारती थी । उस दिन भी मैं बच्चों से बातें ही कर रही थी कि - " बताओ  बच्चों ! कौन सी पिक्चर हिट हो रही है ? कौन से हीरो - हीरोइन टॉप में चल रहे हैं ?" बच्चों को बहुत मज़ा आ रहा था । उस समय शायद रितिक रोशन और प्रीति जिंटा की कोई फिल्म हिट हुई थी । बच्चे चटखारें ले - ले कर , मुझे एक्टिंग - सहित स्टोरी सुना रहे थे , तभी अचानक प्रिंसिपल साहब आए और पूछने लगे - " शर्मा मैडम ! हँसने की आवाज़ किधर से आ रही है ?" बच्चे डर - कर चुप हो गए, पर मैने कहा - " आइये सर ! हमारे क्लास - रूम में बहुत इन्टरेस्टिंग टॉपिक चल रहा है । सर , सचमुच क्लास - रूम में आ गए , मैंने उन्हें अपनी चेयर दी और बच्चों के साथ जाकर बैठ गई । फिर अचानक एक लडके ने मुझसे पूछा  " मैडम ! आपका फेवरेट हीरो कौन है ? " 

" तुम लोगों ने कृष्ण का नाम तो सुना होगा ? " सबने एक स्वर में कहा -" हॉ ।" 
" वही मेरा हीरो है ।" 
"वे तो किसी फिल्म में काम नहीं किए हैं तो वे हीरो कैसे हो सकते हैं ?"
" विप्लव ! क्या तुम इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हो ?"
" जिस क्लास में रितिक और प्रीति जिंटा पढते हैं , कृष्ण वहॉ के हेड- मास्टर रह चुके हैं । है न मैडम ?" 
पूरा माहौल ठहाकों से भर गया । उसी समय बेल लग गई और प्रिंसिपल सर , मुस्कुराते हुए बाहर निकल गए । 

कृष्ण का चरित्र मुझे बहुत आकर्षित करता है । उसका चरित्र अनूठा है । विरोधाभास से भरा हुआ है । हर घडी कौतूहल है , नित - नवीन है और आनन्द से भरा हुआ है । उसने अपने जीवन में कितने उल्टे - पुल्टे काम किए पर फिर भी - " कृष्णं वन्दे जगत्गुरुम् ।" 

कंस - वध के पश्चात् , कंस के ससुर , जरासंध ने , मथुरा पर, बार - बार , आक्रमण किया । उसने सत्रह - बार आक्रमण किया और कृष्ण को ललकारा । ऐसी परिस्थिति में , कृष्ण को , यदुवंशियों की सुरक्षा की चिन्ता होने लगी । वे यादवों को , मथुरा से निकाल कर , कहीं अन्यत्र बसाना चाहते थे पर यादव मथुरा छोडने के लिए तैयार ही नहीं थे , तब कृष्ण ने रातों - रात , जब यदुवंशी सो रहे थे , उन्हें नींद में ही , द्वारिका में शिफ्ट कर दिया । इस कृत्य के लिए उन्हें " रण- छोड " की उपाधि से अपमानित भी होना पडा पर उन्हें क्या फर्क पडता है ? 

यदुवंशी , जब भोर के धुँधलके में जगे , तो बिस्तर से उठ- कर , चलते हुए , दीवारों से टकराने लगे और " द्वारि कः = दरवाजा किधर है ? " कह कर , एक - दूसरे से पूछने लगे और इस प्रकार , समुद्र के भीतर , बसाए गए , उस नगर का नाम "द्वारिका " पड गया , जो देश के चार पीठों में से एक है ।      

8 comments:

  1. बहुत रोचक प्रस्तुति...

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  2. वाह...अद्भुत कथा..कृष्ण को नमन..

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  3. सुन्दर पोस्ट...ज्ञानवर्धक जानकारी...

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  4. बहुत सुन्दर कथा और रोचक जानकारी … आभार

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  5. रोचक अंदाज़ :)

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  6. bahut hi rochak or gyaanvardhak............bahut 2 badhaaiyaan triveni --
    alankaran sammaan ke liye.....shubh-kaaamnaayen...

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