Monday, 23 December 2013

सूक्त - 83

[ऋषि-मन्यु तापस । देवता- मन्यु । छन्द- -त्रिष्टुप्-जगती ।]

9653
यस्ते मन्योSविधद्वज्र सायक सह ओजः पुष्यति विश्वमानुषक्।
साह्याम दासमार्यं त्वया युजा सहस्कृतेन सहसा सहस्वता॥1॥

हे  मन्यु  वज्र-सम तीक्ष्ण-तीर हो तुम  समर्थ  हो वैभवशाली ।
हम  भी  समर्थ बन जायें प्रभुवर करो अनुग्रह  हे बलशाली॥1॥

9654
मन्युरिन्द्रो   मन्युरेवास   देवो   मन्युर्होता  वरुणो  जातवेदा: ।
मन्युं विश ईळते मानुषीर्या:पाहि नो मन्यो तपसा सजोषा:॥2॥

तुम वरुण अग्नि और इन्द्र-देव हो तुम हम सबकी रक्षा करना।
परम-पूज्य  तुम  ही प्रणम्य हो तुम हम सबका दुख हरना ॥2॥

9655
अभीहि  मन्यो  तवसस्तवीयान्तपसा  युजा  वि  जहि  शत्रून् ।
अमित्रहा   वृत्रहा   दस्युहा  च  विश्वा  वसून्या  भरा त्वं नः॥3॥

प्रभु  तेरा  आवाहन  करते  हैं  पूजन  और  अर्चन  करते  हैं ।
दुष्टों  से  तुम  हमें  बचाना  अनुरोध  यही  तुमसे  करते  हैं॥3॥

9656
त्वं  हि  मन्यो अभिभूत्योजा: स्वयम्भूर्भामो  अभिमातिषाहः।
विश्वचर्षणिः  सहुरिः  सहावानस्मास्वोजः  पृतनासु   धेहि॥4॥

हे  सेनापति आगे  बढ  जाओ  विजय-पताका  तुम फहराओ ।
तुम अतुलित बल के स्वामी हो तुम मेरा भी ओज बढाओ॥4॥

9657
अभागः सन्नप  परेतो अस्मि  तव  क्रत्वा  तविषस्य  प्रचेतः।
तं  त्वा  मन्यो  अक्रतुर्जिहीळाहं  स्वा  तनूर्बलदेयाय मेहि॥5॥

तुम  धीर-वीर और  ज्ञानी  हो  मुझको  अपने  सँग  में ले लो ।
चरैवेति  है  लक्ष्य  तुम्हारा  कर्म-योग  की  ओर  ले  चलो॥5॥

9658
अयं    ते   अस्म्युप   मेह्यर्वाङ्   प्रतीचीनः  सहुरे  विश्वधायः ।
मन्यो वज्रिन्नभि मामा ववृत्स्व हनाव दस्यूँरुत बोध्यापेः॥6॥

तुम  अनुकूल  मुझे  लगते  हो  मुझको  अपना मित्र बना लो ।
सान्निध्य तुम्हारा मुझको प्रिय है एक बार मुझको अपना लो॥6॥

9659
अभि  प्रेहि  दक्षिणतो  भवा  मेSधा  वृत्राणि  जङ्घनाव  भूरि ।
जुहोमि  ते  धरुणं  मध्वो  अग्रमुभा  उपांशु  प्रथमा  पिबाव॥7॥

हे  मन्यु-देव  हे  परम-मित्र  आओ  हवि-भोग ग्रहण  कर  लो ।
हम  प्रेम  से  तुम्हें  बुलाते हैं तुम आकर सोम-पान कर लो॥7॥    
   

4 comments:

  1. तुम अनुकूल मुझे लगते हो मुझको अपना मित्र बना लो ।
    सान्निध्य तुम्हारा मुझको प्रिय है एक बार मुझको अपना लो॥6॥
    प्रभु को जो जिस भाव से भजता है वह भी उसे उसी भाव से अपना लेते हैं

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  2. कितने सुन्दर भाव ...
    परम पिता का सानिध्य ही उत्तम है ...

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  3. अति सुन्दर...

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