[ऋषि- सुहस्त्य धौषेय । देवता- अश्विनीकुमार । छन्द- जगती ।]
9224
समानमु त्यं पुरुहूतमुक्थ्यं1 रथं त्रिचक्रं सवना गनिग्मतम् ।
परिज्मानं विदथ्यं सुवृक्तिभिर्वयं व्युष्टा उषसो हवामहे ॥1॥
अन्वेषण अति आवश्यक है नित - नूतन अन्वेषण हो ।
अन्य ग्रहों की हलचल जानें सदा सफल प्रक्षेपण हो ॥1॥
9225
प्रातर्युजं नासत्याधि तिष्ठवः प्रातर्यावाणं मधुवाहनं रथम् ।
विशो येन गच्छथो यज्वरीर्नरा कीरेश्चिद्यज्ञं होतृमन्तमश्विना॥2॥
मन की गति से चले रथ मेरा हम चाहे जहॉ निकल जायें ।
वैज्ञानिक नित नई खोज में अन्य ग्रहों का पता लगायें॥2॥
9226
अध्वर्युं वा मधुपाणिं सुहस्त्यमग्निधं वा धृतदक्षं दमूनसम् ।
विप्रस्य वा यत्सवनानि गच्छथोSत आ यातं मधुपेयमश्विना॥3॥
विश्व आज ऑंगन जैसा है अब आगे भी हो विस्तार ।
अन्य-ग्रहों पर भ्रमण करें हम वैज्ञानिक पर है यह भार ॥3॥
9224
समानमु त्यं पुरुहूतमुक्थ्यं1 रथं त्रिचक्रं सवना गनिग्मतम् ।
परिज्मानं विदथ्यं सुवृक्तिभिर्वयं व्युष्टा उषसो हवामहे ॥1॥
अन्वेषण अति आवश्यक है नित - नूतन अन्वेषण हो ।
अन्य ग्रहों की हलचल जानें सदा सफल प्रक्षेपण हो ॥1॥
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प्रातर्युजं नासत्याधि तिष्ठवः प्रातर्यावाणं मधुवाहनं रथम् ।
विशो येन गच्छथो यज्वरीर्नरा कीरेश्चिद्यज्ञं होतृमन्तमश्विना॥2॥
मन की गति से चले रथ मेरा हम चाहे जहॉ निकल जायें ।
वैज्ञानिक नित नई खोज में अन्य ग्रहों का पता लगायें॥2॥
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अध्वर्युं वा मधुपाणिं सुहस्त्यमग्निधं वा धृतदक्षं दमूनसम् ।
विप्रस्य वा यत्सवनानि गच्छथोSत आ यातं मधुपेयमश्विना॥3॥
विश्व आज ऑंगन जैसा है अब आगे भी हो विस्तार ।
अन्य-ग्रहों पर भ्रमण करें हम वैज्ञानिक पर है यह भार ॥3॥
विश्व आज ऑंगन जैसा है अब आगे भी हो विस्तार ।
ReplyDeleteअन्य-ग्रहों पर भ्रमण करें हम वैज्ञानिक पर है यह भार ॥3॥
अद्भुत है हमारे ऋषियों की सोच !
अन्वेषण अति आवश्यक है नित - नूतन अन्वेषण हो ।
ReplyDeleteअन्य ग्रहों की हलचल जानें सदा सफल प्रक्षेपण हो ॥
कमाल की क्षमता है आपकी !!
बधाई !