Saturday, 5 April 2014

सूक्त - 92

[ऋषि- कश्यप मारीच । देवता- पवमान सोम । छन्द- त्रिष्टुप् ।]

8513
परि  सुवानो  हरिरंशुः  पवित्रे  रथो  न  सर्जि  सनये  हियानः ।
आपच्छ्लोकमिन्द्रियं पूयमानः प्रति देवॉ अजुषत प्रयोभिः॥1॥

प्रभु  हम  सब  को  प्रेरित  करते  रखते  हैं  हम सबका ध्यान ।
जो  भी  उपासना  करता  है  बन  जाता  है  मनुज  महान॥1॥

8514
अच्छा नृचक्षा असरत्पवित्रे नाम दधानः कविरस्य योनौ ।
सीदन्  होतेव  सदने चमूषूपेमग्मन्नृषयः सप्त  विप्रा: ॥2॥

कर्म - योग  की  राह  रसीली  प्रभु से हो जाए साक्षात्कार ।
मन मति संग-संग हो जाए मिल जाए जीवन का सार॥2॥ 

8515
प्र सुमेधा गातुविद्विश्वदेवः सोमः पुनानः सद एति नित्यम् ।
भुवद्वुश्वेषु  काव्येषु  रन्ताSनु  जनान्यतते  पञ्च धीरः ॥3॥

सर्व-व्याप्त है वह परमात्मा कण-कण में है दिन और रात ।
योगी को अनुभव होता है कितनी सुख-कर है यह बात॥3॥

8516
तव  त्ये  सोम पवमान निण्ये विश्वे देवास्त्रय एकादशासः ।
दश स्वधाभिरधि सानो अव्ये मृजन्ति त्वा नद्यःसप्त यह्वीः॥4॥

सात नाडियॉ सात नदी  हैं  ये  ही  प्रभु  तक  पहुँचाती  हैं । 
परमात्मा को पाकर वह स्वयमेव  धन्य  हो  जाती है ॥4॥

8517
तन्नु  सत्यं  पवमानस्यास्तु  यत्र  विश्वे  कारवः  संनसन्त ।
ज्योतिर्यदह्ने अकृणोदु लोकं प्रावन्मनुं दस्यवे करभीकम्॥5॥

परमात्मा  पवित्र  करता  है  सत्पथ  पर  वह  ले  जाता   है ।
वैज्ञानिक अन्वेषण करता सच पर चलना सिखलाता  है॥5॥

8518
परि सद्मेव  पशुमान्ति  होता राजा न सत्यः समितीरियानः ।
सोमः पुनानःकलशॉ अयासीत्सीदन्मृगो न महिषो वनेषु॥6॥

सत्पथ  पर  चलने  वाले  ही सचमुच बडा काम कर पाते  हैं ।
दूजे को  पहले पार लगाते  खुद  भी  पार  उतर  जाते  हैं ॥6॥

3 comments:

  1. जीवन में व्यवहार करने के सरल सूत्र।

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  2. प्रेरक सूक्त...

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  3. सात नाडियॉ सात नदी हैं ये ही प्रभु तक पहुँचाती हैं ।
    परमात्मा को पाकर वह स्वयमेव धन्य हो जाती है ॥4॥

    साधना के सूत्र..

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