[ऋषि- शिशु आङ्गिरस । देवता- पवमान सोम । छन्द- पंक्ति ।]
8780
नानानं वा उ नो धियो वि व्रतानि जनानाम् ।
तक्षा रिष्टं रुतं भिषग्ब्रह्मा सुन्वन्तमिच्छतीन्द्रायेन्दो परि स्त्रव॥1॥
कलाकार रचना करता है प्रतिभा से ही होता निर्माण ।
अपनी गति अपने हाथों है हो सकता है नूतन निर्वाण॥1॥
8781
जरतीभिरोषधीभः पर्णेभिः शकुनानाम् ।
कार्मारो अश्मभिर्द्युभिर्हिरण्यवन्तमिच्छतीन्द्रायेन्दो परिस्त्रव॥2॥
जो पवन-वेग से उडता है उत्तम आयुध सँग रहता है ।
उस पर आशीष बरसता है जो भी सत्पथ पर चलता है॥2॥
8782
कारुरहं ततो भिषगुपलप्रक्षिणी नना ।
नानाधियो वसूयवोSनु गा इव तस्थिमेन्द्रायेन्दो परि स्त्रव॥3॥
जीवन का उद्देश्य परम हो मन को आकर्षित करती माया ।
तब भी प्रभु तुम प्रेरित करना बंधन से उबरे मेरी काया ॥3॥
8783
अश्वो वोळ्हा सुखं रथं हसनामुपमन्त्रिणः ।
शेपो रोमण्वन्तौ भेदौ वारिन्मण्डूक इच्छतीन्द्रायेन्दो परि स्त्रव॥4॥
स्तर - अनुरूप कर्म होते हैं परस्पर प्रिय करते परिहास ।
हे प्रभु जीवन- लक्ष्य बताना मैं स्वयं न बन जाऊँ उपहास॥4॥
8780
नानानं वा उ नो धियो वि व्रतानि जनानाम् ।
तक्षा रिष्टं रुतं भिषग्ब्रह्मा सुन्वन्तमिच्छतीन्द्रायेन्दो परि स्त्रव॥1॥
कलाकार रचना करता है प्रतिभा से ही होता निर्माण ।
अपनी गति अपने हाथों है हो सकता है नूतन निर्वाण॥1॥
8781
जरतीभिरोषधीभः पर्णेभिः शकुनानाम् ।
कार्मारो अश्मभिर्द्युभिर्हिरण्यवन्तमिच्छतीन्द्रायेन्दो परिस्त्रव॥2॥
जो पवन-वेग से उडता है उत्तम आयुध सँग रहता है ।
उस पर आशीष बरसता है जो भी सत्पथ पर चलता है॥2॥
8782
कारुरहं ततो भिषगुपलप्रक्षिणी नना ।
नानाधियो वसूयवोSनु गा इव तस्थिमेन्द्रायेन्दो परि स्त्रव॥3॥
जीवन का उद्देश्य परम हो मन को आकर्षित करती माया ।
तब भी प्रभु तुम प्रेरित करना बंधन से उबरे मेरी काया ॥3॥
8783
अश्वो वोळ्हा सुखं रथं हसनामुपमन्त्रिणः ।
शेपो रोमण्वन्तौ भेदौ वारिन्मण्डूक इच्छतीन्द्रायेन्दो परि स्त्रव॥4॥
स्तर - अनुरूप कर्म होते हैं परस्पर प्रिय करते परिहास ।
हे प्रभु जीवन- लक्ष्य बताना मैं स्वयं न बन जाऊँ उपहास॥4॥
ReplyDeleteस्तर - अनुरूप कर्म होते हैं परस्पर प्रिय करते परिहास ।
हे प्रभु जीवन- लक्ष्य बताना मैं स्वयं न बन जाऊँ उपहास॥4॥
हर श्लोक अपने आप में जीवन अर्थ छुपाये हुए है...
सुन्दर काव्यानुवाद।
ReplyDeleteBut Shep in penis. Romvanto is Hairy Bhedo is to penetrate. ?????
ReplyDeleteमैं आपका आशय समझ नहीं रही हूँ, कृपया हिंदी में स्पष्ट कीजिए ।
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