Friday, 14 March 2014

सूक्त - 2

[ऋषि- त्रित आप्त्य । देवता- अग्नि । छन्द- त्रिष्टुप् ।]

8806
पिप्रीहि  देवॉ   उशतो   यविष्ठ   विद्वॉं   ऋतूँरृतुपते  यजेह ।
ये दैव्या ऋत्विजस्तेभिरग्ने त्वं होतृणामस्यायजिष्ठः॥1॥

अग्नि-देव अत्यन्त अद्भुत  हैं षड्-ऋतुओं  का  देते  दान ।
सज्जन की रक्षा करते हैं अन्वेषण का उनको है  भान॥1॥

8807
वेषि  होत्रमुत  पोत्रं जनानां मन्धातासि  द्रविणोदा  ऋतावा ।
स्वाहा वयं कृणवामा हवींषि  देवो  देवान्यजत्वग्निरर्हन्॥2॥

सत्य-यज्ञ  के  संरक्षक  हो  तुम  ही  हो  गुण  के  हस्ताक्षर ।
अन्वेषण अति आवश्यक है वैज्ञानिक हर क्षण हों तत्पर॥2॥

8808
आ   देवानामपि   पन्थान्गन्म   यच्छक्नवाम   तदनु   प्रवोळ्हुम् ।
अग्निर्विद्वॉन्त्स यजात्सेदु होता सो अध्वरान्त्स ऋतून्कल्पयाति॥3॥

कर्मानुरूप  ही  फल  मिलता  है  हमको  है  इसका  अनुमान ।
इसीलिए सत्कर्म करें हम पर कभी न हो इसका अभिमान॥3॥

8809
यद्वो   वयं   प्रमिनाम   व्रतानि   विदुषॉं   देवा   अविदुष्टरासः । 
अग्निष्टद्विश्वमा पृणाति विद्वान्येभिर्देवॉं ऋतुभिः कल्पयाति॥4॥

महिमा  तेरी  जान  न  पाए  पर  अपने-पन  से  अपना  लेना ।
भूल  से  यदि  कोई  भूल  हुई हो तो प्रभु हमें माफ कर देना॥4॥

8810
यत्पाकत्रा   मनसा   दीनदक्षा  न  यज्ञस्य  मन्वते  मर्त्यासः ।
अग्निष्टध्दोता क्रतुविद्विजानन्यजिष्ठो देवॉं ऋतुशो यजाति॥5॥

ऋतु - अनुकूल  कर्म  सम्पादित  ज्ञानी-जन  ही  कर  पाते हैं ।
विधि -  विधान  में   भूल  हुई  तो  बडे - बुज़ुर्ग  बताते   हैं ॥5॥

8811
विश्वेषां  ह्यध्वराणामनीकं  चित्रं   केतुं  जनिता  त्वा  जजान ।
स आ यजस्व नृवतीरनु क्षा: स्पार्हा इषःक्षुमतीर्विश्वजन्या:॥6॥

अग्नि  सभी  सुख  के  साधन  है अन्न-धान  वह  ही  देते  हैं ।
गुण के निधान भी अग्नि-देव हैं वे सबका दुख हर  लेते  हैं॥6॥

8812
यं त्वां द्यावापृथिवी यं त्वापस्त्वष्टा यं त्वा सुजनिमा जजान ।
पन्थामनु प्रविद्वान्पितृयाणं द्युमदग्ने समिधानो वि भाहि॥7॥

अग्नि- देव  अति  तेजस्वी  हैं जल थल नभ  में  करते वास ।
ज्ञान - मार्ग  के  वे  प्रहरी  हैं  वे  रहें  हमारे  आस - पास ॥7॥  
   

4 comments:

  1. सरल भाषा में बहुत उत्कृष्ट अनुवाद...आभार

    ReplyDelete
  2. अद्भुत भाव, सुगढ़ शब्द विन्यास।

    ReplyDelete
  3. सुंदर दोहे...सभी को रंगों से सराबोर होली की शुभकामनायें...

    ReplyDelete
  4. waah didi aap bahut mahan ho aur aap mahan kaam karne ke liye hi paida lanm li ho .mere v shobha ki taraf se aap ko koti koti pranam .

    ReplyDelete