Friday, 14 March 2014

सूक्त - 3

[ऋषि- त्रित आप्त्य । देवता- अग्नि । छन्द- त्रिष्टुप् ।]

8813
इनो   राजन्नरतिः  समिध्दो  रौद्रो  दक्षाय  सुषुमॉ  अदर्शि ।
चिकिद्वि  भाति  भासा बृहतासिक्नीमेति रुशतीमपाजन्॥1॥

हे अग्नि - देव तुम ही प्रणम्य हो हमको तुम चारों बल देना ।
हवि-भोग सभी को पहुँचा देना अपने-पन से अपना लेना॥1॥

8814
कृष्णां  यदेनीमभि वर्पसा भूज्जनयन्योषां बृहतः पितुर्जाम् ।
ऊर्ध्वं  भानुं सूर्यस्य स्तभायन्दिवो  वसुभिररतिर्वि भाति॥2॥

हे  अग्नि- देव तुम  तमस मिटाते फैलाते जग में उजियारा ।
धन और धान तुम्हीं देते हो सुख-कर लगता है जग सारा॥2॥

8815
भद्रो  भद्रया  सचमान आगास्त्वसारं जारो अभ्येति  पश्चात् ।
सुप्रकेतैर्द्युभिरग्निर्वितिष्ठन्रु   शद्भिर्वर्णैरभि  राममस्थात् ॥3॥

अग्नि - देव  सबको  सुख  देते  जीवन- विद्या  सिखलाते  हैं ।
षड्-रिपुओं  से  हमें  बचाते  मन  का  तमस  मिटाते  हैं ॥3॥

8816
अस्य यामासो बृहतो न वग्नूनिन्धाना अग्नेः सखुः शिवस्य ।
ईडय्स्य वृष्णो बृहतः स्वासो भामासो यामन्नक्तवश्चिकित्रे॥4॥

यज्ञ-धूम  की  महिमा  भारी  तन-मन का कलुष  मिटाती है ।
अमल अद्वितीय अद्भुत है यह जीने की  कला  सिखाती  है॥4॥

8817
स्वना  न  यस्य  भामासः पवन्ते  रोचमानस्य बृहतः सुदिवः ।
ज्येष्ठेभिर्यस्तेजिष्ठैःक्रीळुमद्भिर्वर्षिष्ठेभिर्भानुभिर्नक्षति द्याम्॥5॥

यह  यज्ञ - धूम  है  शब्द - सदृश  सर्वत्र  व्याप्त  हो  जाती  है ।
अद्भुत आभा आच्छादित अवनि पावक की पढती पाती है॥5॥

8818
अस्य   शुष्मासो  ददृशानपवेर्जेहमानस्य  स्वनयन्नियुद्भिः ।
प्रत्नेभिर्यो  रुशद्भिर्देवतमो  वि  रेभद्भिररतिर्भाति  विभ्वा ॥6॥

अग्नि - देव  के  ही  प्रसाद  से  नभ में फिर मेघ उमडते  हैं ।
अनल-अनिल सँग-सँग होने से नभ  में शब्द घुमडते  हैं॥6॥

8819
स आ वक्षि महि न आ च सत्सि दिवस्पृथिव्योररतिर्युवत्योः।
अग्निः सुतुकःसुतुकेभिरश्वै रभस्वद्भी रभस्वॉ एह गम्या:॥7॥

अग्नि- देव  की  गति अद्भुत  है  पवन- देव  हैं उनके  वाहन ।
वे सबको सुख-साधन देते अग्नि- देव सबके मन-भावन॥7॥  

3 comments:

  1. प्रकृति की कार्यशैली स्पष्ट रूप से दिखती है इन पंक्तियों में।

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  2. अग्नि- देव की गति अद्भुत है पवन- देव हैं उनके वाहन ।
    वे सबको सुख-साधन देते अग्नि- देव सबके मन-भावन॥7॥

    पंच भूतों से रची है सृष्टि..नमन उन्हें

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  3. अग्नि देव सर्वत्र विद्यमान हैं उनका आह्वाहन प्रकाश की ओर ले जायेगा...

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