Tuesday, 12 November 2013

सूक्त - 125

[ऋषिका- वागाम्भृणी । देवी- वागाम्भृणी ।छन्द- त्रिष्टुप-जगती ।]

10207
अहं       रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत          विश्वदेवैः ।
अहं  मित्रावरुणोभा  बिभर्म्यहमिन्द्राग्नी अहमश्विनोभा ॥1॥

मैं  वाणी  की  देवी  वाग्देवी  हूँ  विद्वत्-जन  संग विचरती हूँ ।
यह पञ्च-भूत ही मेरा घर है मैं साधिकार घर पर रहती हूँ॥1॥

10208
अहं   सोममाहनसं   बिभर्म्यहं   त्वष्टारमुत   पूषणं   भगम् ।
अहं दधामि द्रविणं हविष्मतेसुप्राव्ये3यजमानाय सुन्वते ॥2॥

मैं  यश- वैभव  की  धात्री  हूँ  तन-मन  सदा  तृप्त  करती  हूँ ।
कला-उपासक यश-धन पाता मन-गागर सबका भरती हूँ ॥2॥

10209
अहं राष्ट्री सङ्गमनी वसूनां चिकितुषी प्रथमा यज्ञियानाम् ।
तां मा देवा व्यदधुः पुरुत्रा भूरिस्थात्रां भूर्यावेशयन्तीम् ॥3॥

मैं  सम्पूर्ण  राष्ट्र  की  वाणी  हूँ शुभ के संग सतत रहती हूँ ।
जग में जो भी मंगल होता है उसका प्रसार मैं करती हूँ ॥3॥

10210
मया सो अन्नमत्ति यो विपश्यति यःप्राणिति य ई शृणोत्युक्तम्।
अमन्तवो मां त उप क्षियन्ति श्रुधि श्रुत श्रध्दिवं ते वदामि ॥4॥ 

मेरी  क्षमता  प्राण-शक्ति  है  उससे  ही  सब  सुख  पाते  हैं ।
जो  मेरी  महिमा  नहीं  जानते वे स्वतः नष्ट हो जाते हैं ॥4॥

10211
अहमेव  स्वयमिदं   वदामि   जुष्टं   देवेभिरुत   मानुषेभिः ।
यं कामये तंतमुग्रं कृणोमि तं ब्रह्माणं तमृषिं तं सुमेधाम्॥5॥

देव - मनुज  सेवन  करते  हैं  मैं   ही  तो  हूँ  वह   उपदेश ।
गुण-कर्म-स्वभाव बॉंटती हूँ मैं सज्जन का है यह परिवेश॥5॥

10212
अहं   रुद्राय   धनुरा   तनोमि   ब्रह्मद्विषे   शरवे  हन्तवा  उ ।
अहं  जनाय  समदं  कृणोम्यहं  द्यावापृथिवी  आ विवेश ॥6॥

दुर्जन के लिए काल मैं ही हूँ जन-हित के लिए लडा करती हूँ।
मैं धरती पर ही रहती  हूँ और नीति-न्याय संग रहती हूँ ॥6॥ 

10213
अहं  सुवे  पितरमस्य  मूर्धन्मम  योनिरप्स्व1न्तः  समुद्रे ।
ततो वि तिष्ठे भुवनानु विश्वोतामूं द्यां वर्ष्मणोप स्पृशामि ॥7॥

सिंहासन पर नित रहे योग्य नर इसी में है जग का कल्याण।
सबको  यही  सिखाती  हूँ  मैं नीति-न्याय से पाओ मान ॥7॥

10214
अहमेव  वात   इव  प्र   वाम्यारभमाणा   भुवनानि   विश्वा ।
परो  दिवा  पर  एना  पृथिव्यैतावती  महिना  सं  बभूव ॥8॥ 

समीर- सदृश  विचरण करती  हूँ रखती हूँ मैं सबका ध्यान ।
स्वार्थ छोड परमार्थ पकड लो यही है सबसे सच्चा ज्ञान ॥8॥  
 

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