[ऋषि- अवत्सार काश्यप । देवता- पवमान सोम । छन्द- गायत्री ।]
8073
प्र ते धारा असश्चतो दिवो न यन्ति वृष्ट्यः।अच्छा वाजं सहस्त्रिणम्॥1॥
सत्पथ पर चलने वाला ही जीवन सार्थक कर पाता है ।
उसकी सुधि परमेश्वर लेते वह प्रभु का प्यारा बन जाता है ॥1॥
8074
अभि प्रयाणि काव्या विश्वा चक्षाणो अर्षति। हरिस्तुञ्जान आयुधा॥2॥
दुष्ट - दलन अति आवश्यक है सज्जन का रखते हैं ध्यान ।
सज्जन निर्भय होकर जीते दीन - बन्धु हैं वे भगवान ॥2॥
8075
स मर्मृजान आयुभिरिभो राजेव सुव्रतः। श्येनो न वंसु षीदति॥3॥
धरा - गगन में विद्युत - बल है इसका अन्वेषण अभी शेष है ।
इससे दुनियॉ लाभान्वित होगी परिशोध सदा रहता अशेष है॥3॥
8076
स नो विश्वा दिवो वसूतो पृथिव्या अधि । पुनान इन्दवा भर॥4॥
परमेश्वर है पिता हमारा वह ही एक - मात्र आश्रय है ।
ध्यान हमारा वह रखता है फिर हमको काहे का भय है ॥4॥
8073
प्र ते धारा असश्चतो दिवो न यन्ति वृष्ट्यः।अच्छा वाजं सहस्त्रिणम्॥1॥
सत्पथ पर चलने वाला ही जीवन सार्थक कर पाता है ।
उसकी सुधि परमेश्वर लेते वह प्रभु का प्यारा बन जाता है ॥1॥
8074
अभि प्रयाणि काव्या विश्वा चक्षाणो अर्षति। हरिस्तुञ्जान आयुधा॥2॥
दुष्ट - दलन अति आवश्यक है सज्जन का रखते हैं ध्यान ।
सज्जन निर्भय होकर जीते दीन - बन्धु हैं वे भगवान ॥2॥
8075
स मर्मृजान आयुभिरिभो राजेव सुव्रतः। श्येनो न वंसु षीदति॥3॥
धरा - गगन में विद्युत - बल है इसका अन्वेषण अभी शेष है ।
इससे दुनियॉ लाभान्वित होगी परिशोध सदा रहता अशेष है॥3॥
8076
स नो विश्वा दिवो वसूतो पृथिव्या अधि । पुनान इन्दवा भर॥4॥
परमेश्वर है पिता हमारा वह ही एक - मात्र आश्रय है ।
ध्यान हमारा वह रखता है फिर हमको काहे का भय है ॥4॥
धरा - गगन में विद्युत - बल है इसका अन्वेषण अभी शेष है ।
ReplyDeleteइससे दुनियॉ लाभान्वित होगी परिशोध सदा रहता अशेष है॥3॥
वेदों में विज्ञान भरा है..