[ऋषि- अवत्सार काश्यप । देवता- पवमान सोम । छन्द- गायत्री ।]
8081
पवस्व गोजिदश्वजिद्विश्वजित्सोम रण्यजित् । प्रजावद्रत्नमा भर॥1॥
हे प्रभु यश - वैभव के स्वामी यश - वैभव का दे दो दान ।
अन्न - धान - फल हमको देना दया - दृष्टि रखना भगवान॥1॥
8082
पवस्वाद्भ्यो अदाभ्यः पवस्वौषधीभ्यः। पवस्व धिषणाभ्यः॥2॥
हे प्रभु पूजनीय परमेश्वर तुम्हें नमन है बारम्बार ।
तुम अमृत सम औषधि देते रक्षा करते हो हर बार ॥2॥
8083
त्वं सोम पवमानो विश्वानि दुरिता तर । कविः सीद नि बर्हिषि॥3॥
प्रभु मेरे अवगुण हर लेना दे देना गुण का भण्डार ।
खट् - रागों से मुझे बचाना एक तुम्हीं तो हो आधार ॥3॥
8084
पवमान स्वर्विदो जायमानोSभवो महान् । इन्दो विश्वॉ अभीदसि॥4॥
जो प्रभु की उपासना करते हैं प्रभु रखते हैं उनका ध्यान ।
विज्ञानी अन्वेषण करता बनता है फिर देश महान ॥4॥
8081
पवस्व गोजिदश्वजिद्विश्वजित्सोम रण्यजित् । प्रजावद्रत्नमा भर॥1॥
हे प्रभु यश - वैभव के स्वामी यश - वैभव का दे दो दान ।
अन्न - धान - फल हमको देना दया - दृष्टि रखना भगवान॥1॥
8082
पवस्वाद्भ्यो अदाभ्यः पवस्वौषधीभ्यः। पवस्व धिषणाभ्यः॥2॥
हे प्रभु पूजनीय परमेश्वर तुम्हें नमन है बारम्बार ।
तुम अमृत सम औषधि देते रक्षा करते हो हर बार ॥2॥
8083
त्वं सोम पवमानो विश्वानि दुरिता तर । कविः सीद नि बर्हिषि॥3॥
प्रभु मेरे अवगुण हर लेना दे देना गुण का भण्डार ।
खट् - रागों से मुझे बचाना एक तुम्हीं तो हो आधार ॥3॥
8084
पवमान स्वर्विदो जायमानोSभवो महान् । इन्दो विश्वॉ अभीदसि॥4॥
जो प्रभु की उपासना करते हैं प्रभु रखते हैं उनका ध्यान ।
विज्ञानी अन्वेषण करता बनता है फिर देश महान ॥4॥
प्रभु मेरे अवगुण हर लेना दे देना गुण का भण्डार ।
ReplyDeleteखट् - रागों से मुझे बचाना एक तुम्हीं तो हो आधार ॥3॥
करणीय प्रार्थना..