[ऋषि-भारद्वाज । देवता-ब्रह्मणस्पति । छन्द- अनुष्टुप ।]
10399
अरायि काणे विकटे गिरिं गच्छ सदान्वे ।
शिरिम्बिठस्य सत्वभिस्तेभिष्ट्वा चातयामसि ॥1॥
हमें विधेयात्मक चिंतन ही सही मार्ग दिखलाता है ।
मधुर-वचन और शुभ-विचार मानव को सफल बनाता है॥1॥
10400
चत्तो इतश्चत्तामुतः सर्वा भ्रूणान्यारुषीं ।
अराय्यं ब्रह्मणस्पते तीक्ष्णश्रृङ्गोदृषन्निहि ॥2॥
शुभ-चिन्तन से ही मिलता है इसी जन्म में इह-परलोक ।
सत्कर्मों से अशुभ मिटता है आधि-व्याधि और रोग-शोक॥2॥
10401
अदो यद्दारु प्लवते सिन्धोः पारे अपूरुषम् ।
तदा रभस्व दुर्हणो तेन गच्छ परस्तरम् ॥3॥
सज्जन ही सब कुछ पाता है यश-वैभव हो या सम्मान ।
दुर्जन को अपयश मिलता है मिलता नहीं है उसको मान ॥3॥
10402
यध्द प्राचीरजगन्तोरो मण्डूरधाणिकीः ।
हता इद्रस्य शत्रवः सर्वे बुद् बुदयाशवः ॥4॥
जीवन यह अनमोल बहुत है हम सबसे सद् व्यवहार करें ।
यदि कोई अप्रिय वचन कहता है तो भी उसे मन में न धरें॥4॥
10403
परीमे गामनेषत पर्यग्निमहृषत ।
देवेष्वक्रत श्रवः क इमॉं आ दधर्षति ॥5॥
हर मानव यदि शुभ ही सोचे सदा करे यदि सद्-व्यवहार ।
तो कोई दुखी नहीं होगा फिर कर के देखो अब की बार ॥5॥
10399
अरायि काणे विकटे गिरिं गच्छ सदान्वे ।
शिरिम्बिठस्य सत्वभिस्तेभिष्ट्वा चातयामसि ॥1॥
हमें विधेयात्मक चिंतन ही सही मार्ग दिखलाता है ।
मधुर-वचन और शुभ-विचार मानव को सफल बनाता है॥1॥
10400
चत्तो इतश्चत्तामुतः सर्वा भ्रूणान्यारुषीं ।
अराय्यं ब्रह्मणस्पते तीक्ष्णश्रृङ्गोदृषन्निहि ॥2॥
शुभ-चिन्तन से ही मिलता है इसी जन्म में इह-परलोक ।
सत्कर्मों से अशुभ मिटता है आधि-व्याधि और रोग-शोक॥2॥
10401
अदो यद्दारु प्लवते सिन्धोः पारे अपूरुषम् ।
तदा रभस्व दुर्हणो तेन गच्छ परस्तरम् ॥3॥
सज्जन ही सब कुछ पाता है यश-वैभव हो या सम्मान ।
दुर्जन को अपयश मिलता है मिलता नहीं है उसको मान ॥3॥
10402
यध्द प्राचीरजगन्तोरो मण्डूरधाणिकीः ।
हता इद्रस्य शत्रवः सर्वे बुद् बुदयाशवः ॥4॥
जीवन यह अनमोल बहुत है हम सबसे सद् व्यवहार करें ।
यदि कोई अप्रिय वचन कहता है तो भी उसे मन में न धरें॥4॥
10403
परीमे गामनेषत पर्यग्निमहृषत ।
देवेष्वक्रत श्रवः क इमॉं आ दधर्षति ॥5॥
हर मानव यदि शुभ ही सोचे सदा करे यदि सद्-व्यवहार ।
तो कोई दुखी नहीं होगा फिर कर के देखो अब की बार ॥5॥
सुन्दर जीवन निर्वहन के सार्थक सूत्र
ReplyDeleteबहुत उम्दा सार्थक सूत्र ,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.