नारी ऐसी गाय है जो दूध तो देती है मगर
वंश - बढाती है हमें याद रखना चाहिये ।
पुरुष के साथ वह हल में जुती हुई है
तिरस्कार - कोडे से उसे बचाना चाहिये ।
अपनी मॉं-पिता का घर छोड के जो आ गई है
ऐसी बहू - रानी का सम्मान होना चाहिये ।
लक्ष्मीबाई किरण बेदी जैसी बेटी पाना हो तो
बहू को सदा सिर-ऑंखों पर बिठाना चाहिये ।
मातृदेवो भव कह श्रुति समझा रही है
नारी ही तो देवी है इसे समझना चाहिये ।
लोक - परलोक दोनों उसी के चरण में है
हमें फिर इधर - उधर नहीं भटकना चाहिये ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग. ]
वंश - बढाती है हमें याद रखना चाहिये ।
पुरुष के साथ वह हल में जुती हुई है
तिरस्कार - कोडे से उसे बचाना चाहिये ।
अपनी मॉं-पिता का घर छोड के जो आ गई है
ऐसी बहू - रानी का सम्मान होना चाहिये ।
लक्ष्मीबाई किरण बेदी जैसी बेटी पाना हो तो
बहू को सदा सिर-ऑंखों पर बिठाना चाहिये ।
मातृदेवो भव कह श्रुति समझा रही है
नारी ही तो देवी है इसे समझना चाहिये ।
लोक - परलोक दोनों उसी के चरण में है
हमें फिर इधर - उधर नहीं भटकना चाहिये ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग. ]
परिवार को धारण करने वाली और उसे स्थिरता देने वाली को यथोचित सम्मान मिले।
ReplyDeleteनारी को सम्मान मिलना ही चाहिए !
ReplyDeleteRECENT POST : पाँच दोहे,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
ReplyDeleteवोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
धन्यवाद , दर्शन । आभार आपका ।
ReplyDeleteसारा जीवन किया समर्पित
ReplyDeleteपरमार्थ में नारी ही ने ,
विधि ने ऐसा धीरज लिखा
केवल भाग्य तुम्हारे में ही
उठो चुनौती लेकर बेटी , शक्तिमयी सी तुम्ही दिखोगी !
सुन्दर भाव, अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकृष्ण की योगमाया है राधा रानी रुपी आधी दुनिया।
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